The ancient seers of India have described the YAJNA a royal path to redemption. The entire Hindu civilization of the yore revolve around the YAJNA. In the same way, the mediaeval bhakti saints ranging from Shankar Dev of Assam to Nanak Dev of Punjab, from Mira Bai of Rajasthan to Tukaram of Maharashtra, Kabir and Goswami Tulsidas have sung the praises of NAME of the Lord. The NAME is not just a noun. It has got deep metaphysical significance. But whether the YAJNA also has any deeper metaphysical aspects as well. Read Satnam 66 to know the REAL meaning of the YAJNA and it's relationship with the NAME.
भारत के प्राचीन ऋषियों ने यज्ञ की बहुत महिमा की है। वैदिक संस्कृति के केंद्र में यज्ञ ही रहा है। उसी प्रकार से मध्यकालीन भक्ति संतों ने प्रभु के नाम की महिमा की है। असम के शंकरदेव, पंजाब के नानक देव, राजस्थान की मीरा बाई, महाराष्ट्र के तुकाराम, उत्तर प्रदेश के कबीर और गोस्वामी तुलसीदास सभी ने प्रभु के नाम को मुक्ति का राजमार्ग बताया है। हम जानते हैं कि नाम कोई संज्ञा नहीं है। इसके गूढ़ रहस्य हैं। प्रश्न है कि क्या यज्ञ के भी कोई गूढ़ रहस्य हैं? यज्ञ के गूढ़ अर्थ और नाम से इसके संबंधों को जानने के लिए पढ़े सतनाम 66.
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