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In the vast pool of literature of the Sanatan Dharma, the manifested form of the Absolute has been described in the two sets of three terms, namely, Sat, Chit, Aanand; and Satyam, Gyanam, Anantam. What are the origins of these terms and what are their meanings? Read Satnam 60 to get the answer
सनातन सभ्यता की विशाल साहित्य राशि में ब्रह्म के अभिव्यक्त रूप की धारणा को तीन-तीन शब्दों की दो पदावलियों में प्रस्तुत किया गया है – “सच्चिदानंद” अर्थात सत्, चित्, आनंद; एवं “सत्यम्, ज्ञानम्, अनंतम्” अर्थात सत्य, ज्ञान एवं अनंतता। इन पदावलियों का मूल स्रोत और इनके अर्थ क्या हैं, यह जानने के लिए पढ़ें सतनाम भाग 60
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