This article is a translated excerpt from my ebook. For a more comprehensive exploration into this topic, check out my full ebook.
As per the Adi Granth, human intellect has got three dimensions namely, fallacious intellect, immaculate or discriminative wisdom and innate wisdom which is nothing but the sapient state. Likewise, the human consciousness has been described as having three stages namely the wayward man or MANMUKH, the righteous man or GURMUKH, the accomplished man or the JANANI. Not only this, the word is also said to be have three realms namely MAYA, SHABAD and NAME. The question is do they have any relationship between them?
It is said that the Vedas are the progenitor of the world. Then, it is also said that the Vedas are the compilations of the Sanskrit Mantras. How these seemingly unrelated ideas can be reconciled?
गुरू ग्रंथ साहिब में मानव बुद्धि की तीन भूमिकाएं बताई गई हैं - अशुद्ध बुद्धि, शुद्ध बुद्धि जिसे विचार कहा गया है, और सहज अवस्था जो ज्ञान संपन्न अवस्था है। इसी प्रकार मानव चेतना की भी तीन अवस्थाएं बताई गई हैं - मनमुख, गुरमुख और संत या ज्ञानी। इसी प्रकार जगत के भी तीन स्तर बताए गए हैं - माया, शब्द और नाम। प्रश्न उठता है कि इन धारणाओं का आपसी संबंध क्या है? यह जानने के लिए पढ़ें सतनाम 33
यह कहा गया है कि वेद सृष्टि का मूल हैं, वेद से ही समस्त संसार बना है। फिर यह भी कहा गया है कि वेद संस्कृत भाषा में लिखे गए मंत्रों के समूह है। इन दोनों कथनों के बीच क्या संबंध है। यह जानने के लिए पढ़ें सतनाम 33
Kommentare